Life Changing Story Of Bomb Blast Survivor Lady - कुछ लोग असाधारण पैदा होते है और कुछ अपनी मेहनत से अपने जीवन को असाधारण बना लेते है आज की  कहानी है ऐसी ही एक शख्स की जिसको प्रधानमंत्री मोदी ने अपना ट्विटर हैंडल भी सौपा था |



हाँ हम बात कर रहे है डॉ. मालविका अय्यर की |




डॉ. मालविका अय्यर का जन्म तमिलनाडू के तंजौर नामक जिले में हुआ। परन्तु कुछ समय बाद सभी राजस्थान के बीकानेर चले गए, क्योंकि वहां ही डॉ अय्यर के  पिता इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे। 

अय्यर बताती हैं कि एक रोज़ उन्हें अपनी फटी जीन्स को चिपकाने के लिए किसी भारी चीज की जरूरत थी तो वह पास के बंद पड़े एक गोदाम से एक चीज उठा लायी जो वास्तव में हेंड ग्रेनेट बम था जिसको उठाते ही वहा उनके ही हाथो मे फट गया उस समय उनकी उम्र महज 13 साल की थी और वो बुरी तरह से जख्मी हो गयी , उनके हाथों की दोनों हथलियाँ इस हादसे में चली गयी उनके पैर भी बुरी तरह जख्मी हो गये |

पर ये हादसा भी उनके हौसलों और हिम्मत को नही तोड़ पाया, ये एक ऐसा हादसा था जिस से उभर पाना कोई आम बात नही थी | पर अय्यर जी ने हादसे को भुलाते हुए क्रैश कोर्स में एडमिशन लिया और बहुत पढाई की, दोनों हाथो को खो चूँकि अय्यर जी ने एक असिस्टेंट की मदद से बोर्ड एग्जाम दिया और सिर्फ पास ही नहीं हुयी उन्हें स्टेट लेवल पर रैंक हासिल हुयी , जिसपर उन्हें राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने राष्ट्रपति भवन में Invite किया गया |
यह अय्यर जी के लिए पहली जीत थी और फिर उन्होंने पीछे मुड कर नहीं देखा इसके बाद उन्होंने ने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से इकोनॉमिक्स ऑनर्स की डिग्री ली,

दिल्ली से ही सोशल वर्क में मास्टर किया तथा मद्रास से एम. फिल किया Disability पर Ph.D. भी किया |

डॉ अय्यर International Motivational Speaker, तथा Disability के हक में लड़ने वाली Activist है, इसके साथ साथ बतौर Fashion Modal भी जानी जाती है | 


हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट को हैंडल करने के लिए, जिन 7 महिलाओं को सौपा था उनमे से एक डॉ अय्यर भी थी , डॉ. अय्यर चाहती है disability रखने वाले लोगो के प्रति समाज समान भाव से देखे | एवं डॉ. अय्यर अपनी Motivational speech से लोगो के नजरियों को बदलने के प्रयास में लगी हुयी है |
प्रति लोगों के नजरिये को बदलने में लगी हैं |

डॉ अय्यर कहती है कि मुझे दिव्यांगजनों के अधिकारों पर बात करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में भी भाषण देने के लिए आमंत्रित किया गया। इसके साथ ही वर्ल्ड इकोनॉमिक्स फोरम में इंडिया इकोनॉमिक समिट के दौरान भी मैंने संबोधित किया। पूरी दुनिया में अब तक मैं तीन सौ से ज्यादा प्रेरक भाषण दे चुकी हूं।

एक हादसे ने तोड़े अनेक सपने

डॉ अय्यर बताती है कि हादसे से पहले मैं कथक नृत्यांगना थी, लेकिन अब उतनी अच्छी तरह से नृत्य नहीं कर पाती हूं। मैं फैशन डिजाइनर बनना चाहती थी, पर वह भी नहीं हो पाया। एक समय इन सब चीजों के बारे में सोचकर दुःख  होता था। पर मैंने खुद को समझाया और अब दिव्यांगों के प्रति लोगों की सोच बदलने का काम कर रही हूं।


परिवार एक ढाल

डॉ अय्यर कहती है कि कालेज के शुरुआती साल काफी कष्टपूर्ण थे। लोग मेरे भविष्य को लेकर चिंता जताते। मैं हमेशा खुद को ढंककर रखती थी और द्दसै के बारे में बात नहीं करती  थी। लेकिन मेंरा परिवार हर मौके पर मजबूती से मेरे साथ खड़ा रहा और उन्होंने मुझ पर यकीन किया।





____The Ray Of Sunlight_____
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